श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर मंदिर (तिरुपति बालाजी)राणी सती मंदिर लेन,रातू रोड ,रांची
शारदीय नवरात्र महोत्सव के पहले दिन सर्वशक्तिमान श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर का वैदिक विधि से महाभिषेक हुआ। आश्विन शुक्ल शारदीय नवरात्र प्रतिपदा तिथि गुरुवार 03 अक्टूबर को श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर (तिरुपति बालाजी) मन्दिर में पुण्यफलकारी एवं शुभफलदायी तिरुमंजन महानुष्ठान हुआ। वेद विधान से पूजा, ध्यान, मन्त्र, स्तोत्र, कवच और मुद्रादि से आयोजित अनुष्ठान को शुरु किया। फिर विश्वरूप दर्शन, सुप्रभातम, मंगलाशासनम् आदि के पश्चात् पाञ्चरात्र विधि से तिरुवाराधन हुआ। फिर दूध, दही, हल्दी, चंदन, शहद एवं नारीयल (डाभ) युक्तजल और गंगाजल से अनेकानेक उपचार पूर्वक वेदोक्त श्रीसूक्त, पुरुषसूक्त, विष्णुसूक्त और तैत्तिरीयो उपनिषद के मंत्रों से महाभिषेक कराया। दिव्य सुवासित पुष्पों से भव्य श्रृंगार हुआ। दधिओदन, सूजी हलवा, फल व मेवा का बालभोग निवेदन हुआ। नक्षत्र, कुंभ और घृत से महाआरती के बाद भाँति-भाँति के स्तोत्रों से स्तवन हुआ।आज के उद्यास्तमन सेवा सहित महाभिषेक के यजमान: श्री राजू चौधरी पत्नी मोना चौधरी रांची निवासी हुए।भगवान् विष्णु ने दुर्गा के नाम का अर्थ किया है – आगमों के अनुसार -दुर्गा शब्द का पदच्छेद – दुर्ग + आ । ‘दुर्ग’ शब्द दैत्य, महाविघ्न, भवबंधन, कर्म, शोक, दुःख, नरक, यमदण्ड, जन्म, महान भय तथा अत्यन्त रोग के अर्थ में आता है तथा ‘आ’ शब्द ‘हन्ता’ का वाचक है। जो देवी इन दैत्य और महाविघ्न आदि का हनन करती है उसे ‘दुर्गा’ कहा जाता है। यह दुर्गा यश, तेज, रूप और गुणों से नारायण की शक्ति है। इसलिए नारायणी कही गयी है।अर्चक: श्री सत्यनारायण गौतम, गोपेश आचार्य और नारायण दास ने सभी अनुष्ठान को विधिपूर्वक कराया। इस अवसर पर सर्वश्री राम अवतार नारसरिया, ओम प्रकाश केजरीवाल, प्रदीप नारसरिया, जगमोहन नारसरिया, अनूप अग्रवाल, रंजन सिंह, यशोदा देवी, उर्मिला झा, सुरेश ठाकुर, दीपू श्रीवास्तव, रतीश कुमार द्विवेरी, विमल मिश्र, नरेश ठाकुर, प्रेम मोदी, सुरभी मोदी के अतिरिक्त सैकड़ों भक्तों ने सहभागिता निभायी।